यह दुनिया तो मुसाफिरों का मेला है और यह सफर अकेला है! यह दुनिया तो मुसाफिरों का मेला है और यह सफर अकेला है!
है यक़ीन मिलेगा मुक़द्दर खिलेगा। है यक़ीन मिलेगा मुक़द्दर खिलेगा।
अपनी बंद मुट्ठी में खुद को समेटे चला, भोर की पहली किरण से दो बातें करता, अपनी बंद मुट्ठी में खुद को समेटे चला, भोर की पहली किरण से दो बातें करता,
अब नाविक मैं लगाम मैं मैं ही नाव अब नाविक मैं लगाम मैं मैं ही नाव
आस पास तो बहुत लोग हैं,पर पास कोई नहीं! आस पास तो बहुत लोग हैं,पर पास कोई नहीं!
जीवन को बना देती है हसीन, कभी कभी एक मुलाकात। जीवन को बना देती है हसीन, कभी कभी एक मुलाकात।